Monday, December 26, 2011

उन सभी को ..जो शराब पीते हें ..नही पीते हें ..या पीते हुए भी न पिने का बहाना करते हें


लालायित अधरों से जिसने, हाय, नहीं चूमी हाला,
हर्ष-विकंपित कर से जिसने, हा, न छुआ मधु का प्याला,
हाथ पकड़ लज्जित साकी को पास नहीं जिसने खींचा,
व्यर्थ सुखा डाली जीवन की उसने मधुमय मधुशाला।।“बच्चन जी.”

शराबियों के बारे में हमारे समाज में कई भ्रान्तिया फेली हुई हें.. उन पर कई लांछन लगाये जाते आये हें ..समय समय पर उनके खिलाफ कई विरोधी बाते कही गयी है ..महिलाये तो उससे भी आगे जा कर उनके खिलाफ आंदोलन करने पर उन्मादित होती आई हें... पर ये सारी बाते गलत है...में जिवंत उदहारण हू (कम से कम मेरे घर वालो को पता चलने तक ) . .. शराबी हमारे समाज का एक अभिन्न अंग हें .. में तो कहूँगा की आवस्यकीय अंग. .. शराबी समाज मे कई परपज सर्व करते हें पर उन्हें कभी भी क्रेडिट नहीं मिल पाता .

यह सब हमारे घिसी-पिटी सोच का नतीजा हें... में कुछ उदहार प्रस्तुत करना चाहूँगा की किस प्रकार शराबी हमारे आपके समाज के लिए उपयोगी हें...

यू तो हमारे समाज में शराबियों के कई पर्यायवाची इसतेमाल होते है जेसे "बेवड़ा, ठर्रेबाज, पियक्कड, टेंकर ..ड्रंकर इत्यादी " पर यहाँ पर में उनको प्रचलित नाम “बेवड़ा” कह कर संबोधित कर रहा हू.. दिस की जस्ट ..आउट ऑफ रिस्पेक्ट ..!!

सर्वप्रथम शराबियों को किस प्रकार स्पोट करे...: यदि कोई व्यक्ति वाइन शॉप पर गहरी दृषि डाले .. या फिर किसी नए पब की जानकारी मिलने पर उछल पड़े...और पुराने पबो की बातों पर अपना इंटरस्त दिखाए तो  समझो की वो उन में से ही एक हें... या फिर आपका कोई दोस्त हर बात पे बोले "चल पार्टी हो जाय" तो समझो वो वेटरन शराबी हें ..ओर कोई दोस्तों में समय बिताने को "हेंगआउट" कहे तो उस पर भी गोर किया जा सकता हें ... ये तो कुछ डेली नुस्खे थे पर में केटेगोरिकल तरीके से आपको इनके प्रकार एवं पहचान बताता हू.. जो निम्नवत हें.

जेनेटिक बेवड़े : ये खानदानी बेवड़े होते है..दारू पीना इनका पुस्तेनी धंदा सा होता है ..इनके दादा परदादा सबी इस कला में पारंगत होते है.. यदा-कदा इन घर की महिलाए भी सोमरस का पान करती है...शराब उसी तरह पेय होती हें ..जैसे नार्थ इण्डियन घरों में चाय और साउथ इण्डियन घरों में काफी सर्व की जाती हें..ये शराब नाम लेते ही गर्वानुभूति करते ..जेसे की मदिरा की खोज इनके ही बाप ने की हो. इनके घर में कदम रखते ही आप समझ जाओगे.. ड्राइंग रूम में कई तरह की रंग बिरंगी स्वदेशी बिदेसी दारू की बोतले आपको उत्तेजित करेगी..जिस गिलास में आप पानी पीयेगे उस पर 'सिग्नेचर / ब्लेंडर्स प्राइड ' कुछ ऐसा ही लिखा होगा.. इन घरों में ए बी सी डी कुछ इस तरह पदाई जाती हें ..
फॉर एन्तिकुटी
बी फॉर ब्लेंडर्स प्राइड
सी फॉर कोकटेल

फोर्से बेवड़े : ये पहले तो विक्टिम होते हें संगती ही इनके पिने की प्रथम वजह होते है पर बाद में वजह - बेवजह पिने लगते हें ..जेसे "फाल इन लव ... फेल इन लव ...बेक पेपर.. बेक क्लियर.. .ब्रेक उप .." .. इनका विक्तिमाइजेष्ण पीरियड . "इंजिनिअरिंग का प्रथम वर्ष "  या फिर 'घर से बहार निकला हुआ साल' होता है...पर जब ये सफल बेवड़े हो जाते हें ..यानि की ..कम से कम ५ बार उलटिया कर चुके हो .. १०-२० बार लड़कियों को फोन घुमा चुके हो..२-४ झगड़े कर चुके हो ..यार फिर कुछ न कुछ जान माल का नुकसान कर चुके हो.. ऑफकोर्स आफ्टर ड्रिंकिग.. ये दूसरों को पिलाने में आनंद लेते हें.. यानि की "डुप्लीकेशन"..ये फ़ाइनल इयर तक आते आते अपने पीछे बेवडो की एक फोज छोड़ आते हें...जो निरंतर इनके नक्से - कदम पर चलते हें..इनको पहचाने में आपको कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए ..ये युवा वर्ग होता हें..२० -३० तक की उम्र का ..इस उम्र का कोई भी व्यक्ति कुछ उखाडा - उखाडा, खोया- खोया कुछ बदबदाये लाइक "क्लाइंट, डेड लाइन ..जॉब ..प्रमोशन..गर्ल फ्रेंड ..मेरिज... " .. कुछ तलाश रहा हो तो आप की खोज सही दिशा में हें.. कृपया आप उस पर रहम कर उसे मैखाने का रास्ता बता देना...!!


ओकेजन्ल बेवड़े: ये अपने को 'क्लास अपार्ट ' समझते हें ...सिर्फ ओकेजंस पे पिने का दावा करते हें . पर हर पार्टी में आप इनके हाथो में जाम देख सकते हें .. पर दिग्गज बेवड़े इनको बेवडो के नाम पर कलंक समझते हें.. इनके पीने का अलग ही इस्टाइल होता हें.. ये महिलाओ के बीच दात फाड कर हसते हुए पिने में आनंद लेते हें ..पर महिलाये भी अक्सर इनको चूतिया ही समझती हें ..इनमे होरो बनने का कीड़ा भी होता हें..ये टल्ली महिलाओ को सहारा देने के बहाने उनके गुदाज बदन पर हाथ फेर लेते हें.. जो की वेटरन बेवड़े आसानी से भाप जाते हें सो इनको छिछोरा कहते हें..ये आउट ऑफ जेलसी भी हो सकता हें..


चंसमार बेवड़े : इन बेवडो का एक ही सिद्धांत होता हें  मजे भी ले लो ओर जेब से चवन्नी भी न निकले ... पूछने पर ये कहते हें के ये नहीं पीते .. पर आप थोडा सा भी इन्सिस्ट करे तो ये न- न कर  गटागट २-४ पेग डाउन कर जाते हें. इनको स्पोट करना सबसे आसान होता है ..इनका पहला ऑर्डर जूस होता है ..जो की आखिरी भी होता है ...इस जूस के दरमियाँ ये कितने पग अंदर कर जाय ये कहते हुए ..'दिस इस माय फस्ट् टाइम.' ..ये किसी को नहीं पता ..



हाई क्लास बेवड़े. : ये बेवड़े ओकेजन्ल बेवड़े ही होते हें पर ये विशिष्ट हें ..क्योकि ये केवल फाविव स्टार होटल या हाई कलास पार्टी या फिर किसी बीच पर बीच - बीच में पीते हें. अधिकांशतया ये केवल रेड वाइन या फिर शेम्पेन पीते हें ..पर कभी कभार जेक डेनिअल या इसी प्रकार की उच्च श्रेणी की दारू भी पी लेते हें. इनका उदेश्य सोसियलाजिंग होता हें पर कुछ आमोद - प्रमोद हेतु भी पीते हें.. पिने के पश्चात ये अपना समय अपनी मासूक की बाहों में सेक्सोफोन पर बजने वाले गीतों के मध्य गुजारना पसंद करते हें ...



लो क्लास बेवड़े: ये जाती घनी मात्रा में भारत के उपरी हिस्स्सो जेसे यू पी .. बिहार ..दिल्ली में ज्यदा पाई जाती हें ...पर यदा-कदा भारत के अन्य क्षेत्रो में भी इनका निवास होता है... इनकी प्रिय पेय ..देसी ठर्रा ..लो क्वालिटी की रम या फिर ..काजू/नारियल फेनी होती है ..ये  अधिकाश्तया नाले के पास उल्टे-सुल्टे लेटे मिल जाते है या फिर किसी भीड़ को सम्भोधित करते हुए भी .. जो की आपने कम में मस्त होती है. इनकी पत्निया इन को हमेशा गरियाती/जुतियाती रहती है.. वो कबी-कभी इसी लड़ाई के दोरान मेक-अप सेक्स भी कर लेते है ..सो इनके घरों में कई बच्चे होना आम बात है ..


कन्फ्यूज्ड बेवड़े: ये अलग ही जाती हें जिनको खुद पता नहीं होता है के ये बेवड़े हें, सभ्य समाज में पिने को ये पीना नहीं समझते, और दोस्तों के साथ २-४ पेग मार लिए तो मार लिए ..इससे कोई बेवड़ा थोड़े ही न बन जाता हें ..ये इनका मानना हें .. इनकी मोरल वेल्ल्यु ज्यादा होने के कारण या फिर ..घर वालो का डंडा होने के कारण .. आत्मविश्वास की कमी होने के कारण ..या फिर लोडियाओ को ये दिखाने के चक्कर में की वो शरीफ हें .... ये कोलेज टाइम में दारू शुरू नहीं कर पाते... कीड़ा तो बहुत होता हें इनमे पर ..यू नो ...उपर्युक्त कारण कीड़े की मा-बहन किये रखते है..




ये तो थी प्रचार/पहिचान डिटेल .. अब में बताना चाहूँगा की इनके क्या उपयोग हें...



बेवडे समाज में समानता का भाव लाते हें एवं देश के एकता को अक्षुण्य रखते है: बेवड़े पिने के बाद जाती धर्म संप्रदाय सोसियल स्टेटस कुछ नि देखते ..सब के गले मिलते हें .. कभी- कभी तो लिंग (आई मीन टू से सेक्स ) भी नहीं देखते .मेने कई बार.. बेवडो को महिलाओ के गले लग .गाल पर आधी चुम्मी लेते हुए देखा हें ..खासकर ओकेजन बेवड़े! देश में दंगे रोकने है तो हेलिकोप्टर से दारू की बोतले उस एरिया में डलवा दो दंगे शांत पार्टी शुरू...... ४ पेग बाद .कल का न्यू ज्वाइनी सीनियर मेनेजर के कंधे पे हाथ रख कर टी एल की मा बहन एक कर रहा होता हें सोचो एसी आजादी ..ऐसे समानता कहा देखने को मिलती है इस देश में जहा नेताओ ने आरक्षण के नाम पे देश की जयललिता- मायावती की हुई हें. .. मुझे जोनी वाकर देख कर याद आता है ..शायद गाँधी जी ने ऐसे ही समानता वाले भारत की कल्पना की थी..!!



मनोरंज करना ओर कराना: बेवड़े यू तो मनोरंजन करने हेतु पीते हें पर इस चक्कर में वो ओरो को भी फन टाइम देते हें ..आप हाई क्वालिटी फन लेना चाहे तो बेवडो की बड़ी पार्टी में जाये और हाथ में एक गिलास में थोडा सा ३०-४० ml  वाला पेग ले के ..जो की आपकी ओब्जर्वेशन पावर एंड कन्स्न्त्रेष्ण लेवल बढाने के काम आये.  एक कोने में खड़े हो जाये .. फिर देखिये नज़ारे ...आप इसकी वीडियो रिकोर्डिग कर अपने बच्चो को भी दिखा सकते हें ..आपके वीकेंड का मूवी का खर्च बच जायेगा ... गोर से देखिये की सबसे शाई लडका कैसे लड़कियों के झुण्ड में जा के ..कितने चुतियापे वाले जोक मार रहा है ... और खुश भी हो रहा हें की लड़किया हस भी रही हें .. लड़किया भी वन्स मोर कह कर उस पर हस रही होटी हें (गोर किजीए वो उस पर हस रही है न की जोक पर ). देखो केसे सबसे झातू डांसर ने सारा स्टेज घेरा हें ...उसका मानना है की नागिन डांस कर के वो एक – आधा लोडिया पटा हें लेगा.. लदकिया मोबाइल से फोटो ले के उसे सेलिब्रेटी स्टेटस दे देती.. वो फोटो फेसबुक में लगता हें . आगे क्या होता है नो नीड टू एक्सप्लेन...
लड़कियों का आप फिर सिडक्टिव डांस देखिये ...क्लीवेज तो पहले ही दिख रही थी ..डांस के वक्त जाने क्या क्या दिख सकता हें .. आप में पार के नजर होनी चाहिए बस... कुछ गोरी नंगी टांगो को आपस में लिपटा के लेस्बियन डांस कर रही होती हें तो कुछ अपने ‘सो काल्ड बॉय फ्रेंड’ की बाहों में झूल रही होती हें. पर एसी पार्टी में जाना सबकी ओकात नहीं! रही सही हमारी गरीब जनता का मनोरंजन लो क्लास बेवड़े करते हे.. एक बच्चा जा के उसको नाले के पास छेड आता हें फिर पूरा मोहल्ला मजा लेता हें .. इनमे कुछ सेल्फ डिक्लियर्ड शायर होते हे कुछ गवय्ये कुछ डांसर कुछ पोलितिशन कुछ बाबा.. मतलव फूल पकेज मिल जायेगा आपको फ्री आफ कोस्ट ..!!

देश की अर्थ व्यवस्था को सुद्रिड करना : जेसा की आप जानते होंगे शराब में 50-60 % सर्विस टेक्स कटता हें जो सर्कार को जाता हें ...सोचो गर बंगलोर में इतनी शराब की दुकाने न होती तो मेट्रो शायद ही आ पाती ..अगली बार अगर आप मेट्रो में चदें या किसी फलाई ओवर में .. अपने किसी करीबी बेवड़े को याद करे ..ये सब उसकी सेक्रिफाईस का नतीजा है ..कबी कबी उसे एक बियर केन दे दे ..



क्कराईसिस मैनेजमेंट: अभी हाल ही में किंगफिशर क्राइसिस में थी ..तो सबी बेवडो ने २-४ बियर ज्यादा पी और उसे बचा लिया..


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छुपे हुए टेलेंट को निकालना एवं परफोर्मेस में चार चाद लगाना: जब मैंने आधी बोतल वाइन खतम कर लडकी को फोन किया तो ..मेरे मुह से फर्राटेदार अंग्रेजी निकलने लगी और में अपनी फ्लर्टिग स्किल से भी उसी दिन रु बरु हुआ . मेरे कई दोस्तों ने २-२ पेग लगा के कठिन से कठिन इन्टरव्यू क्लियर किये हें .. . (प्लीज ये स्टंट किसी निपुड बेवड़े की देख रेख में करे). जितने भी बड़े बड़े कलाकार हुए है सब शो से पहले या फिर कुछ क्रिएटिव करने से पहले २- पेग डाउन करते थे और हें भी. ..मुझे अभी भी यद् हें हमारे क्वांटम सर (केमेस्ट्री के मास्टर) हमेसा २ पेग चड़ा के अंग्रेजी पदाते थे ..खुदा कसम सेक्सपियर जिन्दा होता तो उनसे अन्ग्रेजी पडने आता...
ये तो कुछ ही तथ्य थे जो मई जाहिर कर पाया हू..कभी २-४ पेग डाउन कर के कुछ लंबा सा लिखूंगा ...कृपया बेवडो को हीन भावना से न देखे. आखिर वो भी तो हमसे से ही हें..

बहती हाला देखी, देखो लपट उठाती अब हाला,
देखो प्याला अब छूते ही होंठ जला देनेवाला,
'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद मिले'
ऐसे मधु के दीवानों को आज बुलाती मधुशाला।।१६। “बच्चन जी.”

यह आर्टिकिल पिने को बढावा देने के लिए नहीं बल्कि एक व्यंग के रूप में लिखा गया है

रीडर्स दिस्क्रिसन इज निदेड...!!!
मदिरा-पान सेहत एवम समज दोनो के लिये हानिकरक है ....
pc Bhatt 

Thursday, November 10, 2011

सपना हर इंजिनियर का.

चाहे देश के एम्.बी.ऐ व्यवसाय करना चाहे न चाहे ..मेरे देश के सारे इंजिनियरो का एक सपना होता हें बिजनेस मैंन या ओन्त्रप्रन्योर बनाना ...ये एक सपना होता है जो बीस इक्कीस की उम्र में अंकुरित होता हें .. एक बार दिमाग में इसका बीज पड़ गया तो समझो दूब लग गई इस जमी पर ...वो फैलेगा ..ओर फेलेगा....पर फरक ये हें की वो बीज हें.. उसे पेड बनना हें तुफानो को सहना हें और धुप में हरा भी रहना है...और हरा रहता भी हें ...पर केवल पच्चीस - छब्बीस तक ...जो लोग जिद्दी होते हें वो अट्ठाईस तक खीच ले आते है ...पर सुखना तो उसको है ही ...क्योकि करम की खाद तो कोई डालता ही नहीं ...न ही पानी पडता हें प्रेरणा का उसमे ...डाले भी केसे यहाँ हर कोई इंजीनयर गरीब होता है ..कोई पैसो से तो कोई समय से तो कोई दोनों से...!!! 
आप कई ऐसे सपने रोज देख सकते हें.. 
कोई सपना हजार लाइन की कोड के बीच कोने में पड़ा होगा सर छुपाये ...कोई टेस्ट केस का केस बन के रह गया होगा....!!
कोई बग आई डी के बीच अपनी आई डी खो चुका होगा ...तो कोई पैच या फिक्स में कही फिक्स हो गया होगा...!!
कुछ सपने कोंफ्रेंस टेबल पर सामूहिक आत्मदाह कर रहे होते हें...तो क्लाइंट की कॉल में जल काले पड़ रहे होते हें..
कोई मेनेजर से वन ऑन वन के बीच ..वन माइनस वन हो रहे होते हें....!!

पर मेने भी देखे हें कुछ जुनूनी इंजिनियर ..जो सपने को हर रोज सीचते हें... ऑफिस की केब में कान में आई पोड लगाये हुए....पेन्ट्री में कोफ़ी की चुस्की लेते हुए....टू डू लिस्ट की डायरी में पेन घिस सहेजे हुए......!!!
सोचता हू...ले आऊ में भी एक आई पोड...लंबी चुस्कियाँ लू देर तक काफी की, ...या फिर गिफ्ट ही कर दे कोई.. एक डायरी..........!!!

Friday, March 18, 2011

कुमाउनी खडी होली

जल केसे भरु जमुना गहरी..
जल केसे भरु जमुना गहरी..

ठाडे भरु राजा राम देखत हे..
बेठि भरु भीगे चुनरि..
जल केसे भरु जमुना गहरी..२

धीरे चलू घर सास बुरी हे ..
ढमकि चलू छल्के गगरी ...
जल केसे भरु जमुना गहरी..२

गोदि मे बालक सर पर गागर.
पर्वत से उतरी गोरि....
जल केसे भरु जमुना गहरी..२

जल केसे भरु जमुना गहरी..
जल केसे भरु जमुना गहरी..