मनुष्य को जीवन में एक बार राजधानी एक्सप्रेस से सफर जरुर करना चाहिए...यह उसी प्रकार है जेसा की एक मुस्लिम का हज करना या हिंदू का गंगा स्नान! ट्रेन का केटरिंग डिपार्टमेंट आपको याद दिलाता हे की मानव मात्र का जन्म केवल खाने के उद्देश्य से हुआ है! दामाद की तरह आपकी सेवा की जाती है हर घंटे मैं कुछ न कुछ आ ही जाता है.
शुरुवात होती हे छोटी पर मोटी चीज जल (रेल नीर) से. फिर तो चीजों का ताता लग जाता है
दामाद (वो सर जी कहते है पर आपको दामाद जी सुने पडता हे) जी चाय.
दामाद जी ब्रेकफास्ट
दामाद जी जूस.
दामाद जी सूप
दामाद जी ब्रेड स्टिक
दामाद जी लंच.
दामाद जी डेजर्ट
दामाद जी स्नेक्स बिस्किट
दामाद जी चाय
दामाद जी फिर से रेल नीर
दामाद जी सूप ...ब्रेड स्टिक ...डिनर ...
आप सो रहे हे तो क्या हुआ ...जगा जगा के खिलया जायेगा...आपका हिस्सा कोई कव्वो को थोड़े ही न देंगे..
अमा यार इतना खिलाओगे तो दीर्घ शंका तो लगेगी ही. और आपको ही नहीं सब को लगेगे..ओर बाथरूम सिर्फ दो ..भीड़ तो होनी ही है ... जब तक आप कर करा के आते हो ..सीट पे एक और सामान पड़ा होगा खाने को. आप मिसिंग हो सकते है पर ये लोग मिस नि करते.
रात आते आते में तो ये एक्सपेक्ट करने लगा था के कही हल्दी वाला दूध और छुवारे न ले आये. और फिर गुलाब की पत्तिया न डाल दे सीट पे..सफ़ेद चादर और कम्बल तो पहले ही दे रखा था उन्होंने. वो तो मेरा मोबाइल चालू था और गर्लफ्रेंड भी नयी थी ..बार बार एस एम् एस कर के अपने होने का आभास करा रही थी वरना तो मैं दो एक सलिया तो बना ही आता उतरते – उतरते...
जे हो राजधनी एक्सप्रेस ..धन्य उनका केटरिंग विभाग...बस एक आध कटीली कन्याए भारती कर दो उसमे ...साला किंगफिशर फेल हे ..वो तो वैसे भी फेल है फिर भी...यु नो व्हाट आई मीन...!!
पी सी भट्ट