Thursday, November 10, 2011

सपना हर इंजिनियर का.

चाहे देश के एम्.बी.ऐ व्यवसाय करना चाहे न चाहे ..मेरे देश के सारे इंजिनियरो का एक सपना होता हें बिजनेस मैंन या ओन्त्रप्रन्योर बनाना ...ये एक सपना होता है जो बीस इक्कीस की उम्र में अंकुरित होता हें .. एक बार दिमाग में इसका बीज पड़ गया तो समझो दूब लग गई इस जमी पर ...वो फैलेगा ..ओर फेलेगा....पर फरक ये हें की वो बीज हें.. उसे पेड बनना हें तुफानो को सहना हें और धुप में हरा भी रहना है...और हरा रहता भी हें ...पर केवल पच्चीस - छब्बीस तक ...जो लोग जिद्दी होते हें वो अट्ठाईस तक खीच ले आते है ...पर सुखना तो उसको है ही ...क्योकि करम की खाद तो कोई डालता ही नहीं ...न ही पानी पडता हें प्रेरणा का उसमे ...डाले भी केसे यहाँ हर कोई इंजीनयर गरीब होता है ..कोई पैसो से तो कोई समय से तो कोई दोनों से...!!! 
आप कई ऐसे सपने रोज देख सकते हें.. 
कोई सपना हजार लाइन की कोड के बीच कोने में पड़ा होगा सर छुपाये ...कोई टेस्ट केस का केस बन के रह गया होगा....!!
कोई बग आई डी के बीच अपनी आई डी खो चुका होगा ...तो कोई पैच या फिक्स में कही फिक्स हो गया होगा...!!
कुछ सपने कोंफ्रेंस टेबल पर सामूहिक आत्मदाह कर रहे होते हें...तो क्लाइंट की कॉल में जल काले पड़ रहे होते हें..
कोई मेनेजर से वन ऑन वन के बीच ..वन माइनस वन हो रहे होते हें....!!

पर मेने भी देखे हें कुछ जुनूनी इंजिनियर ..जो सपने को हर रोज सीचते हें... ऑफिस की केब में कान में आई पोड लगाये हुए....पेन्ट्री में कोफ़ी की चुस्की लेते हुए....टू डू लिस्ट की डायरी में पेन घिस सहेजे हुए......!!!
सोचता हू...ले आऊ में भी एक आई पोड...लंबी चुस्कियाँ लू देर तक काफी की, ...या फिर गिफ्ट ही कर दे कोई.. एक डायरी..........!!!

2 comments:

Am said...

:):)
koi shabd ni hai mere pe...

Akhilesh Chandra Bhatt said...

Ruk Jana Nahi Tu Kabhi Haar Ke...
Kaanto Par Chal ke Milenge Saaye Bahar ke...... O Raahi... :)