Tuesday, July 13, 2010

ये बारिस ये बुन्दे....

ये बारिस ये बुन्दे....


टिप टिप ट्प ट्प ...
टिप टिप ट्प ट्प ...
पानी की बून्दे , कुछ गुन्गुना सी रही थी.
झरॊखे को खोल के देखा ...
तो रिम्झिम रिमझिम बरखा अपने योवन मे नाच सी रही थी..
तभी एक झोका गीली हवा का मेरे मुख को सीच सा गया,
मिट्टी की सोधी खुशबू नथुनो से टकराकर मुझे मदहोश सा कर गई....

टिप टिप ट्प ट्प ...
टिप टिप ट्प ट्प ...
अभी भी जारी था ...
मेने फ़िर से बाहर देखा ..
बारिश बन्द हो चुकी थी ..
मे बुन्दो का पीछा करने लगा...
जाकर सीधा एक दरवाजे से टकराया ...
खोल कर देखा.....
अरे साला..."ये लोन्डिया के खयालो मे बाथरुम के सारे नल तो खुले छोड आया था"....!!!
"क्रपया नल बन्द करना ना भूले , जीने के लिये लडकी से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हे",
Save water, save your water bill , that will save you and mother earth"
जनहित मे जारी .....

पीसी भट्ट

1 comment:

Samvid said...

Haaa....Haaa...
Very hilarious as well as very mind striking...
:)