Sunday, September 14, 2014

हिंदी दिवस की शुभकामनायें 

हिंद देश के निवासी सभी जन एक है रंग, रूप, वेश, भाषा चाहे अनेक है

जहाँ हमारे देश में कट्टर हिंदीवादी हिंदी को राष्ट्रीय भाषा घोषित कर उसे देशव्यापी बनाना चाहते हें। वहीं हिंदी के धुर विरोधी इस प्रस्ताव को सिरे से ख़ारिज करते हे. हिन्दीवादी इसे देश की सभ्यता और संस्कृति को सुरक्षित करने की ओर एक पहल के रूप में देखते है तो वही विरोधी इसे देश पर एक बोझ समझते हे और भाषा-बोली की स्वतंत्रता पर आघात।
मेँ नहीं जानता कि हिंदी का प्रचार-प्रशार और जबरन कार्यान्वयन देश के लिए कितना लाभकारी होगा पर कुछ बाते ध्यान देने योग्य हे

भारत एक भौगोलिक और सांस्कृतिक विषमताओं का देश हे , यहाँ एक ही त्यौहार कई तरीके से अलग - अलग जगहों पर मनाया जाता हे, और एक समूह दूरसे से बिलकुल ही विषम हो सकता हे ऐसे में "एक देश एक पहिचान" वाली बात कहाँ तक सार्थक हे !

कुछ लोगो को लगता हे कि अंग्रेजी, ‘हिंदी और हिंदुस्तानी’ सभ्यता और संस्कृति को निगल जाएगी। पर क्या एक भाषा ही संस्कृति का परिचायक हे।
पर इस बात पर कोई दो राय नहीं कि हममें अभी भी मानसिक दासिता हे जो अंग्रेजी बोलने वाले को पढा - लिखा एवं सभ्य समजते हें और देशी भाषा (हिंदी या अन्य) बोलने वाले को गँवार। पर क्या हिंदी को बलपूर्वक देशव्यापी कर देने से समस्या का हल हो जायेगा। सभ्यता सद-चरित्र से आती हे और चरित्र किसी भाषा का मोहताज नहीं।

हमारे लिए ये गर्व की बात हे कि हम विविध हे और बहुभाषी भी, बॉलीवुड हिंदी में फिल्म बनाकर उसका प्रचार करता है जो सराहनीय हे पर यदि बॉलीवुड को भी हिंदी की बाध्यता होगी तो शायाद, सिनेंमा का आनंद कम हो जायेगा।

हमको अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए, और देश की विषमताओं को देख कर किसी भाषा के लिए बाध्यता नहीं करनी चाहिए , उसका प्रचार - प्रसार करने पर भी कोई पांबदी नहीं होनी चाहिए।
हर हिंदुस्तानी को कम से कम द्विभासी होना चाहिए, एक मातृभाषा एवं एक अंग्रेजी, क्योकि अंग्रेजी इंटरनेट के जरिये ज्ञान के द्वार खोलती हे और ज्ञान से ही मनुष्य उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकता हे

मुझे हिंदी से अगाध लगाव हे और में चाहता हूँ क़ि सारा विश्व इस प्राचीन पर पूर्ण भाषा की खूबसूरती से सराबोर हो पर जबरन नहीं।

हिंदी दिवस की शुभकामनायें , हिंदी तुम चिरकाल तक होठों पे सजी रहो !

~pc

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